शहडोल भास्कर
शिक्षा माफियाओ पर मेहरबान हैं। जिले के संवेदनशील कलेक्टर..?
स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा खुलेआम भ्रष्टाचार की छूट गैर सरकारी संचालित विद्यालय को दिया हुआ है।
शहडोल यू कहें आदिवासी अंचल। जिले को बंदरगाह बना कर।
शिक्षा के नाम पर खुलेआम।लूटपाट. ?
शिक्षा विभाग को मध्यप्रदेश शासन एवं केंद्र सरकार के संशोधित शिक्षा अधिनियम 2023 के बावजूद भी। आदेशों को दरकिनार करते हुए।
आदिवासी अंचल में खुलेआम शिक्षा के नाम पर अभिभावकों से लूटपाट का बाज़ार खोलकर रखे हुए है। आपको बता। दें 1 अप्रैल से प्राइवेट स्कूल के संचालकों के द्वारा जगह जगह पर यूनिफॉर्म बुक स्टॉल खोलकर अभिभावकों को लूटने का गोरखा धन्धा संचालित कर रहे संशोधित शिक्षा अधिनियम में।
उल्लेख है। कि बच्चों का बस्ता अब बोझ नहीं होगा..?
इसके बाद भी स्कूल संचालकों के द्वारा अपने अपने विद्यालय में अलग अलग प्रकार की पुस्तकों का उपयोग करते हुए अभिभावकों से महंगे दरों पर अधिक मात्रा में पुस्तकों खरीदने का आदेश जारी कर छोटे छोटे नौनिहाल छात्रों को बस्ता बोझ दिन प्रतिदिन बनते जा रहा है। वहीं पर प्रशासन इस पर चुप्पी साध रखा है
यह बात सही है कि प्राइवेट विद्यालय। को स्वतंत्रता है लेकिन जिले के कानून व्यवस्था के नीचे रहकर विद्यालय। का संचालन स्कूल की रखरखाव और। बच्चों के हित में काम करने के लिए विद्यालय। का संचालन किया जाता है आपको बता। दें जबलपुर संभाग में विगत वर्ष विद्यालय संचालको के द्वारा मनमानी तरीके से विद्यालय में छात्रों से शुल्क वसूली के मामले को लेकर जिले के संवेदनशील कलेक्टर एव प्रशासनिक अधिकारियों ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए संस्थानों के ऊपर जुर्माने का। राशि जमा कराने का आदेश जारी कर सभी स्कूल संस्थानों को। पैसा वापस करने का निर्देश। जारी किए थे। वहीं पर। देख लीजिए शहडोल संभाग की स्थिति जहाँ शिक्षा माफियाओं के द्वारा मन मानी तरीके से फीस वसूली कर छात्रों अभिभावकों को लूटने का खुलेआम बाज़ार खोल रखा है। ऐसे में सरकार द्वारा सभी विद्यालय में स्वीकृत RTसीट जिसमें गरीब बच्चों का शिक्षा निशुल्कं प्रदान कराया जानता स्कूल संचालकों के द्वारा पोर्टल मे डाइस कोड विद्यालय कोड के साथ छेड़छाड़ कर लाभार्थियों को वंचित करने के लिए अनेकों प्रकार की पैंतरेबाजी चाल चल रहे हैं सर्व शिक्षा अभियान एवं शिक्षा विभाग शेडौल की बात करें तो मध्यप्रदेश शासन के आदेशों को दरकिनार कर विद्यालय। संचालकों को खुलेआम मनमानी तरीके से गैर कानूनी रवैया अनुसार विद्यालय का। संचालन शिक्षकों का भर्ती मापदंडों के आधार से हट कर। संचालित किया जा रहा है। आदिवासी शिक्षा विभाग की ओर से संचालित विद्यालयों की रखरखाव। और अनुभाग के सत्यापन पेयजल व्यवस्था खेलकूद। मैदान। विद्यालय के अंदर
बैठक व्यवस्था क्षमता से ऊपर छात्रों का प्रवेश कर विद्यालय संचालक बच्चों को सही समय पर विद्यालय। में शिक्षा प्रदान नहीं करा पा रहे हैं। ऐसे में एक तरफ शिक्षा विभाग के मिलीभगत साफ जाहिर हो रहा है तो वहीं पर प्रशासनिक व्यवस्थाओं के भी खुलेआम अवहेलना किया जा रहा है। शहडोल जिले में। संचालित विद्यालय कॉलेजों नर्सिंग कॉलेज विभिन्न प्रकार के संस्थानों का संचालन में प्रशासन का हस्तक्षेप पूर्णतः अधिकृत है। लेकिन सारे कागजों में सीमित है। शिक्षा जैसे मंदिर और शिक्षा को एक दूसरा रूप देने के लिए अपने आप में शर्मिंदगी साबित होता है जहां पर प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के कारण शिक्षा को एक अलग रूप दिया जा रहा है? दूसरे शब्दों में कहें तो?
गोरखे धंधा बनाया जा रहा है और छात्रों के अधिकारों का हनन किये जा रहे । ऐसे में जिला शिक्षा अधिकारी के कर्तव्य और विभागीय कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं
इनका कहना है
जिला शिक्षा अधिकारी शहडोल
फूल सिंह मारपाची
प्राइवेट विद्यालय वाले सभी अपील
भोपाल में किये थे। छात्रों से अधिक शुल्क लेने वाले विद्यालय संस्थान के संचालकों के द्वारा अब तक वापस नहीं किया गया है। पैसा निर्णय के पश्चात वापस करेंगे उनका कहना है