शहडोल भास्कर
सहकार ग्लोबल के आड में । कौन कर रहा है। जिले में अवैध रेत उत्खनन का कार्य..?
रेत माफियाओं ने सोन नदी सहित छोटे समूह के नदियों का कर रहे हैं छलनी..?
सहकार ग्लोबल के नाम पर चल रहा है जिले में अवैध उत्खनन..?
मुख्यमंत्ती=डा मोहन यादव
प्रदेश मे गैर कानूनी व्यवस्था बर्दाश्त नहीं.?
शहडोल भास्कर। शहडोल जिले में मध्य प्रदेश शासन के खनिज विभाग के द्वारा जिले के।अड़तीस खदानों का जियो टैकिंग सीमांकन खसरे नंबर रकबा और सीमा के आधार से सहकार ग्लोबल को। रेत निकाल कर निर्यात करने का अधिकृत किया है। यह ठेका 3 वर्ष के लिए शहडोल आदिवासी अंचल में सरकार की नेतृत्व में दिया गया।
सरकार एक बार किसी ठेकेदार या उसके कंपनी को जिले के कमान भू। संपदा नदियों का उत्खनन और धरोहर को ठेके बोली में देकर। व्यापार के अलावा शोषण का जरिया समय देता है। यह मामला शहडोल जिले के सोन नदी जीवनदायिनी जिसके जल से मध्यप्रदेश के अलावा भारत के विभिन्न राज्यो में इसके साफ पानी से कृषि कार्य और रेत का। कारोबार संचालित। होता है। ऐसे नदियों के दोहन के लिए सहकार ग्लोबल नामक कंपनी को मिला है। एक वार फिर शहडोल के धरती से माफियाओं ने एक अलग खाका तैयार करने के बाद अवैध रूप से रेत के कारोबार कर रहे हैं। जिस पर जिले के संवेदनशील कलेक्टर एव। जिले के खनिज अधिकारियों का नजरिया अब तक नदियो के क्षेत्र और स्थलों पर नहीं जा रहा है। जहां से करोड़ों रुपये के। रेत का अवैध खनन।संचालित है
शहडोल जिले से बाहर बड़े बड़े गाड़ियों के माध्यम से टू टेन मशीन की सहारा लेकर नदियो से रेत निकालने का कार्य कर रहे हैं।
आपको बता दें शहडोल जिले के आदिवासी जनपद गोहपारू के चुंदी और चन्द्ररेह नदी ग्राम पंचायत लोढी भुरसी खदान शासन स्तर से।सहकार ग्लोबल को।प्राप्त नहीं हुआ है। इसके पश्चात भी इस नदी से दिन रात रेत का कारोबार किया जा रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि हमारे क्षेत्र के संपदा को निकालकर चोरी से यह कौन व्यक्ति हैं। जो बिना लीगल लींज के यहाँ पर रेत के उत्खनन की कार्य किया जा रहा है। इस पर प्रशासन की चुप्पी से साफ जाहिर होता है कि चोरों को शह। देने में जिले के खनिज अधिकारियो का भी खुलेआम छूट है। जबकि नदियो की सीमांकन नहीं हुआ है। और न ही जिओ टैकिंग दस्तावेजों के आधार से एक नजर देखें। तो शासन स्तर पर बिना लीज के संचालित खदान पर अब तक प्रशासन की कार्यवाही क्यों नहीं हुआ। यह भी कई प्रश्नों को जन्म देता है।
लोढी खदान ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है और यहां पर पेस एक्ट कानून की पालन करना आवश्यक है। लोढी के चारो तरफ जंगल लगा हुआ है। इसके आस-पास दक्षिण वन मंडल के वन परिक्षेत्र खनौधी बीट नबागाव लोढी के रिजर्व फॉरेस्ट आर एफ मुनारा।के बीचों बीच प्रधानमंत्री ग्राम सड़क के माध्यम से भारी वाहन से लोड कर रेत का परिवहन किया जाता है। जबकि वन क्षेत्र में वनप्राणियों का विचरण होता है फिर कैसे बिना निर्देश के।रेत के कारोबारियों ने।
अवैध रूप से रेत का उत्खनन। और परिवहन कर रहे हैं। इस पर दक्षिण वनमंडला अधिकारी एवं वन परिक्षेत्र अधिकारी अब तक क्यो मौन है। और कोई कार्रवाई नहीं किया। इससे यह प्रतीत होता है कि गैर कानूनी व्यवसाय को। बंद करने में संवेदनहीनता प्रतीत होता है..?
सोन नदी का कर रहे हैं दोहन
शहडोल के रोहनियां घाट और
कसेढ नदी थाना अमलाई क्षेत्र रेत के अवैध उत्खनन संचालित है जिस पर प्रशासनिक तंत्र की अनदेखी से। साफ जाहिर है कि इस क्षेत्र के खनिज का निर्यात गैरकानूनी तरीके से किया जा रहा है और जिले में प्राप्त होने बाले राजस्व का नुकसान किया जा रहा है
व्यौहारी सहित जिले भर में संचालित सोन नदी के रेता शहडोल वासियों को।
सोने से भी। महंगी दरों पर मिल रहा है। प्रधानमंत्री आवास निर्माण को लेकर पूर्व में जिले के कलेक्टर के द्वारा निर्देशित किया गया था। कि सस्ती दरों पर रेत मुहैया करा कर सरकार की योजनाओं से बनने वाले। भवनों का। निर्माण कार्य पूरा कराया जाएगा लेकिन जिले में। रेत कंपनी के तानाशाही दादा गिरी से।
किसानों और गरीबों को रेत के लिए दर दर भटना । पड रहे हैं। और अपने ही जिले में। अभूतपूर्व रेत सम्पदा होने के पश्चात भी। महंगे दरों पर रेत की खरीदी की जाती है। इस पर जिले के जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने समय समय पर आवाज उठाते हुए प्रधानमंत्री आवास स्कूल निर्माण।
जीर्णोद्धार के कार्य के लिए सस्ती दर में रेत की मांग की है। लेकिन अब तक जिले के लोगों को सस्ते दरों पर रेत मिलना नसीब नहीं हुआ है। यह बात अलग है कि जिले में रेत के कारोबारियों ने व्यापारिक दृष्टिकोण से अपना खाका तैयार कर। प्रशासनिक और राजनीतिक जिम्मेदारों को साधने का प्रयास किया है आम जनता को ठेंगा। दिखाने का जिम्मेदारी लिए हैं।शीर्ष नेतृत्व का जनता के प्रति क्या है संवेदन शीलता..?
एक कहावत है।
राजा तो बहुत सही। लेकिन।अपने औरों से परेशान..?
जिले में चल रहे रेत के अवैध उत्खनन को। किस प्रकार से रोकने का कार्य प्रणाली चल रहा है यह बात तौर तरीके और कानूनी व्यवस्था के गतिशीलता को देखकर महसूस होता है कि रेत माफिया शहडोल जिले में। अव्वल दर्जे। में स्थानीय जनों को कष्ट पहुँचा कर गैर कानूनी कारोबार को। जन्म दे रहे हैं जिसके लिए संवेदनशील अधिकारी और कर्म निष्ठावान प्रशासन मौन है। रेत उत्खनन से। रोजाना शहडोल जिले से। करोड़ों। रुपये की। गैरकानूनी तरीके से रेत का परिवहन किया जाता है। जिसे। जांच दल डिपो बेरियर को भी ठेंगा दिखाने का कार्य कर रहे हैं रेत माफियाओं ने। अब तक जिले के। दो बड़े अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिये विगत वर्ष अवैध रेत उत्खनन को रोकने के लिए गये एक पटवारी और एक पुलिसकर्मी का बेरहमी। से रेत खदान के आस-पास ही मार कर। मौत का घाट उतार दिए। बाद में इतिहास लिखा गया ट्रैक्टर चढ़ गया संवेदनशील अधिकारियों के रहते हुए जमीनी स्तर के कर्मचारियों की निर्म हत्या हो जाए और अब तक जिले में रेत माफिया फल फूल रहे हों।। इससे साबित होता है कि कानून व्यवस्था बहुत ही लचर में पड़ा हुआ है। जिसकी खामियाजा जिले के सीधे सादे जनता और संवेदनशील सरकार को। उठाने पड़ रहे
कैसे होगा अवैध खनन पर कार्रवाई
खनिज विभाग के शीर्ष नेतृत्व अब तक कार्रवाइयों को लेकर।
छोटे छोटे स्तर पर। स्थानीय रेत माफियों के खिलाफ कार्रवाई करने में कतराते हैं। इससे जिले के संवेदनशीलता और रेत के उत्खनन का बंद करना मुश्किल दिखाई देता है
सोन घड़ियाल में प्रतिबंधित के पश्चात भी किया रहा है। मशीनरी उपकरण उपयोग..? सोन नदी में जल के भराव स्थलों पर जली। य जंतु प्रजनन के सक्रियता के समय में भी रेत कारोबारियों के द्वारा जलस्तर में मशीन लगाकर पानी के अंदर से।
रेत निकालने का कार्य किया जा रहा है जिससे जलीय जंतुओं जीवन बाधित होता है ऐसे में पर्यावरण अधिनियम को ठेंगा दिखाने का कार्य कर रहे हैं।
खनिज अधिनियम पर्यावरण नियमों का किया जा रहा है उल्लंघन बहते जल को रो कर नदी के बीचों बीच रोड। तैयार कर। कंपनी बेधड़क तरीके से उत्खनन कर रही है। इस पर प्रशासनिक व्यवस्थाओं को।
गंभीरता की आवश्यकता है