शहडोल भास्कर
सन्लग्नीकरण के आड़ में गरीब आदिवासी छात्राओं के थाली। से।छुड़ा रहे निवाला..?
राज्य सरकार के निर्देशों को पालन कराने को लेकर कमिश्नर शहडोल के आदेश को किया जा रहा नजरअंदाज.?
शहडोल भास्कर// जिला शिक्षा अधिकारी शहडोल इन दिनों अफसर साही के दबदबा में शहडोल मुख्यालय में अपना एक अलग पहचान बनाने का काबिलियत रखते हैं।सूत्रों के मानें तो अनुकंपा नियुक्ति।मांग को लेकर एक बहाना था ।फूलसिंह को तो जिला शिक्षा केंद्र से हटाना ही था। राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय।
बना हुआ है। कहा जा रहा है कि फूलसिंह मारपाची दो वर्ष के कार्यकाल में विभागीय आदेशों का पालन और समय सीमा पर जानकारियों। का आदान प्रदान करना विभागीय निरीक्षण और सभी प्रशासनिक जिम्मेदारियों। का निर्वहन करने के बावजूद
उच्च स्तरीय अधिकारियों के मार्गदर्शन में।निलंबन प्रस्ताव पारित किया गया अनुकंपा नियुक्ति के बहाने तात्कालिक जिला शिक्षा अधिकारी को हटाने के बाद जिला शिक्षा कार्यालय के कार्यशैली कितना संवेदनशील है और
छात्र छात्राओं के हित में जिला शिक्षा केंद्र में पदस्थ जिम्मेदार अफसर। अपने कर्तव्य देशभक्ति प्रशासनिक उच्च अधिकारियों का आदेश का पालन का जवाबदेही को निर्वहन करते है। आपको हैरानी होगी
शहडोल मुख्यालय से लगे।सौ किलो मीटर दूरी में व्यौहारी बिकास खंड में एजुकेशन विभाग के विद्यालय संचालित है। फिर जिला मुख्यालय में जिला शिक्षा अधिकारी शहडोल में डेरा जमाकर क्यों बैठे। उन छात्रों के भविष्य का क्या होगा?
जिनके मत्थे में जिला शिक्षा अधिकारी के नाम का तिलक लगा हो। मुख्यालय में जब जिला शिक्षा अधिकारी का निवास और कार्यालय मौजूद है। फिर स्कूल छात्रों की इतना दूरी।
पर क्ये बना हुआ है। ऐसे में दर्जनों शिक्षक विद्यालय से नदारद रहते हैं और कई वर्षों पूर्व से जिला शिक्षा केंद्र कार्यालय। में ही संलग्नीकरण के नाम पर विद्यालय छोड़कर मुख्यालय में अपना। रुतवा।बरकरार रखते हैं
राष्ट्रीय शिक्षा मिशन के पूर्व जिला समन्वय श्री अरविंद पांडेय जैसे व्यौहारी विकास खंड के एक दर्जन से ज्यादा शिक्षक मुख्यालय के आस-पास जमावड़ा लगाकर। आदिवासी छात्रावास। के इर्द-गिर्द गिध के नजर डाले हुये है और अपने आप को अफसर साही के बागडोर सँभाल रहें है।छात्रों के शिक्षा पठान कार्य को अब तक में वह शिक्षक भुला चुके होंगे जिन्होंने लगभग दस वर्ष पहले विद्यालय छोड़कर। सहाब।का कमान अपने हाथो में धारण कर। प्रशासन के इर्द-गिर्द बने है
उन बच्चों के भविष्य अंधकार में है जिनके विद्यालय के नाम से लाखों रुपये के। वेतन उन्हीं विद्यालय संस्थानों के नाम पर उन। शिक्षकों को सरकार द्वारा प्राप्त होता है।
जिस स्कूल के बच्चों को पढ़ाने का तो बात अलग है। उस गांव कस्बा मार्ग को मास्टर सहाब भूल चुकें। यह मामला ब्यौहरी विकासखंड के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय माऊ का है जहां के शिक्षक श्री अरविंद पांडे लगभग दस वर्ष पहले दो वर्ष के लिए जिला शिक्षा कार्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा मिशन के जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए तैनाती की गई थी। इसके बावजूद सहाब का संलग्नीकरण हर 3 वर्ष में इस कदर से बढ़ा कि बच्चों की स्कूल से उनका मोह भंग हो गया। और आदिवासी छात्राओं बेटियों। के थाली में नजर लग गया।
उन मासूम बच्चों से एक बार। रूबरू होकर। बात करें कि रमसा छात्रावास। के द्वारा उपलब्ध कराई गई भोजन मेस। कितना मीनू के आधार पर। बच्चों को प्राप्त होता है और उन बच्चों के। शैक्षणिक भविष्य शारीरिक विकास किस कदर सरकार के भंवर जाल? में फंसकर अंधकार की ओर अग्रसर है। ऐसा कहना। गलत नहीं होगा कि माता पिता के घर छोड़ने के बावजूद आदिवासी छात्रावास में बच्चों के। थाली से उनके हिस्से का भोजना। जिले के।जिम्मेदार अधिकारी बच्चों के भोजन के नाम पर एक बड़ा खेल चल रहा है जिसे लेकर अब तक छात्रों ने कहीं न कहीं अधीक्षकों के डर से इस। राज को अपने तक सीमित रखकर अपने पेट को कष्ट पहुँचा कर। अपना शिक्षा पूरा करना जरूरी समझा जरा। सोचिए जिन छात्र छात्राओं के माता पिता की। आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था अनुकूल शिक्षा प्राप्त कराने में। असमर्थ होते हैं। ऐसे में। शासकीय शिक्षा मिशन सरकार की योजना से बनाई गई छात्रावासों में अपने बच्चों को सरकार के भरोसे छोड। देती।
और बच्चों के साथ किस कदर से व्यवहार किया जाता है यह बात बखूबी। रमसा छात्रावास के पूर्व जिला समन्वयक अरविंद पांडेय से अच्छा कोई नहीं जान सकता
संलग्नीकरण। समाप्त होने के बावजूद भी शहडोल में क्यों डाले हैं डेरा
शहडोल संभाग के संवेदनशील संभाग आयुक्त श्रीमती सुरभी गुप्ता के। निर्देशों के बावजूद भी। जिला शिक्षा केंद्र शहडोल। में। व्यावहारी के एक दर्जन से ज्यादा शिक्षक अधिकारी से लेकर बाबू। के पद पर। पदस्थ है और विद्यालय छोड़ कर। शासकीय खजाने। से लेकर। गरीब छात्र छात्राओं के हिस्से की थाली।की रोटी को अपना हक़ समझ कर।। जमावड़ा लगाये हुए ऐसे में उन विद्यालय के शिक्षकों के साथ साथ बच्चों के भविष्य को देखा जाए तो। छात्र कहीं न कहीं अपने शिक्षा के प्रति कोसो दूर दिखाई दे रहे