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 शहडोल भास्कर

स्वतंत्रता दिवस में सरपंच के अधिकारों का उपयोग कर रहे हैं? सरपंच पति संतोष बैगा?



शहडोल भास्करआंचलिक खबर// ग्राम पंचायत रतहर जनपद पंचायत गोहपारु ग्राम पंचायत सचिव एवं रोजगार सहायक महिला सरपंच श्रीमती बसंती बैगा  के अधिकारों को दरकिनार कर सरपंच पति संतोष बैगा को पंचायत के लिखित दस्तावेजों में सील लगाने एवं हस्ताक्षर करने का खुलेआम छूट दिए  हैं। जिसका नतीजा आज 2 वर्षों से पंचायत के चुने हुए पंच एवं नौनिहाल बच्चों के सामने शिक्षक महेश कुशवाहा अपने स्कूल में ध्वजारोहण कराया सरपंच पति संतोष बैगा ने अपने पत्नी के स्थान पर स्वतंत्रता दिवस पर ग्राम पंचायत भवन के प्रांगण में ध्वजारोहण किया आपको बता दें कि सरपंच पति का इतना बड़ा हौसला है कि वह अधिकारियों को भी अपना नाम छुपाते हुए स्वयं को सरपंच घोषित किया है। सरकार जहां एक तरफ महिला सशक्तिकरण के बात करते हैं ।वहीं दूसरे तरफ उन्हीं के अधिकारियों के सामने महिला सरपंच के अधिकारों का हनन किया जाता है। यह बात सही है कि ग्राम सभा से लेकर सभी निर्णय सरपंच पति स्वयं लेकर ग्राम पंचायत के बीच में अपना दखल बना रखा है। जब ननिहाल बच्चों और शासकीय कर्मचारियों के सामने सरपंच पति ने सरपंच के नाम पर ध्वजारोहण कर रहा था। उस समय शासकीय कर्मचारियों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आशा कार्यकर्ता सचिव एवं रोजगार सहायक शिक्षक महेश कुशवाहा उपस्थित रहे इन सभी ने सरपंच को घर से बुलाकर ध्वजारोहण करना जरूरी नहीं समझा। और एक आदिवासी महिला सरपंच के नाम पर वर्षों से हस्ताक्षर करने वाला एवं उनके अधिकारों पर दखल देने का कार्य कर रहे हैं। जनता जिस महिला को सरपंच नाम से चुना है उस महिला को ग्राम पंचायत की जनता आज तक ग्राम पंचायत भवन में ग्राम सभा मासिक बैठक में नहीं देखा। दुर्भाग्यपूर्ण की बात है कि 23 अक्टूबर 2023 संविधान संशोधन पंचायती राज अधिनियम 1996 में संशोधित धारा 11 के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में अनुसूचित वर्ग के चल चल संपत्ति एवं महिला सशक्तिकरण को लेकर सरकार ने एक बड़ा अहम फैसला लिया था पेसा एक्ट कानून बनाकर जिसका संचालन शहडोल आदिवासी क्षेत्र में महिलाओं के अधिकार को लेकर दोहरी नीति अपनाया जा रहा है। अब तक आदिवासी क्षेत्र में आदिवासी महिलाओं के अधिकारों को लेकर मात्र ग्रहणी समझ कर उनके नाम का वोट बटोरने का काम गांव के नेताओं का  होता है। और जब पंचायत में ग्राम सभा मासिक बैठक कानूनी प्रक्रिया का बात हो तो सरपंच को दरकिनार कर पति स्वयं सरपंच बन बैठता है। यह बात बुद्धिजीवी समाज में स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण को लेकर किए गए लापरवाही ग्राम पंचायत सचिव एवं रोजगार सहायक के इन कार्यशैली को ग्रामीणों ने शिकायत करते हुए कहां है । कि हमारी महिला सरपंच के अधिकारों को जिले का मुखिया संवेदनशील कलेक्टर डॉक्टर केदार सिंह तत्काल संज्ञान में लेकर न्याय दिलाने का कार्य करेंगे। यह बात अलग है कि सरपंच पति का दखल राजनीतिक क्षेत्र से लेकर उसके साथ पैरवी करने वाले नेताओं ने मोर्चा संभाल रखा है

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