शहडोल भास्कर
अवैध रूप से संचालित क्लीनिकों एवं मेडिकल स्टोर को किया गया सील।
अवैध संचालित क्लिनिको के कार्यवाही में भी दिख रहा है परहेज?
कार्यवाही के नाम पर छोटे क्लिनिक संचालकों के ऊपर ताबड़तोड़ कार्यवाही।बड़े अस्पताल संचालकों एवं गैरकानूनी तरीके से संचालित केयर सेंटर पैथोलॉजी को स्वास्थ्य विभाग का खुला संरक्षण?
शहडोल 12 अगस्त 2024- मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश मिश्रा के मार्गदर्शन में। जिले में अवैध रूप से संचालित क्लीनिकों, पैथालॉजी,। अस्पतालों एवं झोलाछाप डॉक्टर के विरुद्ध ।कार्यवाही की जा रही है। इसी तारतम्य में जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर. के. शुक्ला एवं एस.डी. कवर तथा रुजोपचार टीम द्वारा। विकासखण्ड जयसिंहनगर के बस स्टैण्ड स्थित मिश्रा क्लीनिक डॉ. मेटी क्लीनिक रीवा रोड एवं सरकार दवाईखाना जयसिंहनगर जिला शहडोल का आकस्मिक निरीक्षण किया गया। सरकार दवाईखाना जो पूर्व में सील की गई थी, के संचालक द्वारा सील की गई क्लीनिक में उपचार करते पाया गया।, जिसे पुनः सील करने की कार्यवाही की गई। इसी प्रकार बिना वैध डिग्री एवं पंजीयन के संचालन पर मिश्रा क्लीनिक एवं मेटी क्लीनिक को भी सील किया गया। तथा इनके विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा लम्बे अर्सो से छूट दिया गया है ।और कार्यवाही में भी परहेज रखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार यूं कहे राजनैतिक संरक्षण और जिनके हाथ सत्ता के चौखट तक पहुंच है। उनके दरवाजे में स्वास्थ विभाग के अधिकारियों का दस्तक कार्यवाही के नाम पर नहीं जाएगा। यह बात सही है कि रीवा रोड शहडोल से लेकर व्यौहारी के बीच संचालित। अवैध क्लिनिक पर कार्यवाही किया गये है। प्रशंसनीय है। लेकिन कहीं न कहीं विभागीय गठ जोड़ के करण बड़े-बड़े स्वास्थ्य माफियो के खिलाफ अभी भी कोई कार्यवाही नही। अबैध क्लिनिकओं और मेडिकल पैथोलॉजी संचालन कर जिला प्रशासन को चुनौती दे रहे है। जहा एक तरफ देखा जाए तो जिले में तेजी से फैल रहे डायरिया उल्टी दस्त के शिकार आदिवासी अंचल के छोटे तपके की परिवार अपने मरीज को लेकर निजी स्वास्थ्य केद्रो के योर रुख कर रहे हैं ।तो वही झोलाछाप डॉक्टरों का भी शिकार हो रहे हैं। विकासखंड गोहपारू में अलग-अलग जगह पर मेडिकल संचालक पैथोलॉजी अस्पताल संचालक किया गया है। जिस पर अब तक कोई कार्यवाही प्रशासन ने नहीं किया है। सही है कि प्रशासनिक अधिकारियों को झोलाछाप बंगाली डॉक्टर और छोटे क्लिनिक संचालन कर्ता के ऊपर कार्यवाही कर जनता और जिला प्रशासन के सामने पीठ थपथपाने का श्रय लेते हैं। लेकिन वहीं दूसरी ओर बड़े स्वास्थ्य माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने में क्यों गुरेज रखते हैं। यह भी एक बड़ा रहस्य में प्रश्न है। जिसके पीछे राजनैतिक आर्थिक सामाजिक तना-बना के साथ क्लीनिक संचालित हो रहे हैं?
जिला स्वास्थ्य अधिकारी पूर्व समय में गोहपारू विकासखंड के खंड स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में भी कार्य कर चुके हैं ।जिनके संज्ञान में संचालित क्लिनिको की इतिहास रखा हुआ है। बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुआ?