शहडोल भास्कर
अपनों के सपनों को चकनाचूर करने के लिए बगावत का स्वर
भाजपा का हार का जिम्मेदार भाजपा के पालनहार खुद होंगे...?
शहडोल //भाजपा को कांग्रेस से ज्यादा डर भाजपा के आंतरिक भितर घात करने वाले कार्यकर्ताओं से है|जयसिहनगर विधानसभा क्षेत्र में चुनावी आंकड़ों के अगर बात करें तो अब बीजेपी के सुपडा साफ होने को लेकर कानडाऊनलोड शुरू हो गया है| यू तो कहे कांग्रेस से जादा डर भारतीय जनता पार्टी के अपने ही कार्यकर्ताओं से है जहां जयसिहनगर विधानसभा क्षेत्र के हृदय कहे जाने वाले गोहपारु जनपद से भाजपा के ही एक आदिवासी नेता बगावत का स्वर भरने लगा है|सुत्तो के माने पार्टी के सारे शर्तों को दरकिनार कर चुनाव लड़ने का निर्णय मात्र एक कार्यकर्ता के ऊपर निर्भर नहीं करता है|जानकारो के माने तो भाजपा के कद्दबर नेताओं ने गोहपारु क्षेत्र से जयसिहनगर विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार का निर्णायक भूमिका माना जाता है इसी कारण से कांग्रेस से ज्यादा विरोध अंदर ही अंदर अपने ही पार्टी के गोहपारु क्षेत्र के वरिष्ठ नेताओ की बगावती स्वर अलाप रहे हैं| माना यह जा रहा है कि भाजपा को हरा कर कोई बड़ा जीत हासिल कर लेंगे यह भी जनता की जनाधार और भारतीय जनता पार्टी के कार्यशैली को अगर आकंलन किया जाए तो भाजपा को हरना मुश्किल दिखाई देता है सूत्रों के माने तो भाजपा आज कई खेमे में बिघटित होकर अलग-थलग है और कई धड़ में बिभाजित हो गये है |कार्यकर्ताओ ने पार्टी के लिए गड्ढा खोदने का काम कर रहे है जयसिहनगर में वर्तमान विधायक जैतपुर से श्रीमती मनीषा सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पार्टी के कार्यकर्ता टिकट वितरण को लेकर नाराजगी जाहिर किये थे इसके बाद पार्टी ने उम्मीदवार के नाम को यथावत रखा इसी कारण पार्टी के आला कमान की ओर से मान मनउल करने के बाद बात नहीं बना तो आनन आफन में पार्टी से इस्तीफा दिलाकर चुनावी मैदान में भाजपा के प्रतिद्वंदी के रूप में उतारा गया है यह कारनामा किसी कांग्रेसी कार्यकर्ता का नहीं है सहाब हम आपको बता दें कि पार्टी के अंदर ही अंदर आपसी कलह और गुटबाजी के चलते मनीषा सिंह को हार का सामना करना पड़ सकता है..? जहां एक तरफ फूलवती सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी का दामन थामने का नाम लेकर भाजपा से अपना नाता तोड़ने का कार्य किया है वहीं राजनीतिक समीकरणों की अगर देखा जाए तो बिंन्ध जनता पार्टी से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद जयसिहनगर विधानसभा क्षेत्र से कयास लगाया जा रहा है कि भाजपा को इस बार एक वह वर्ग है जिन्होंने 2018 में भारतीय जनता पार्टी को जाति समीकरण के आगे हार के समना भी करना पडा रहा |क्या वह दिन फिर दोबारा भाजपा को देखने को मिलेगा जिस से सवर्ण का एक खेमा नारायण त्रिपाठी के गन्ने का रस किसानों के घर-घर जाकर स्वाद चखने का मंत्र भी जयसिंहनगर के भाजपाई बागी प्रत्यसी के रुप में मैदान में जमिनी हकीकत तलास रही है भाजपाइयों की यूं तो कहें 30अक्टूबर तक नामांकन पत्र दाखिल करने को लेकर पार्टी के बीच में संशय का माहौल बना हुआ था लेकिन आज सभी दल के प्रत्याशियों ने मैदान में जीत के लिए नामांकन पत्र दाखिल कर आमने-सामने खड़े हो गए जयसिहनगर विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने नरेंद्र मरावी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के हाथ में दामन सौंप दिया है |वही भारतीय जनता पार्टी ने जीत के ख्वाहिशों को सजाकर अपने वर्तमान विधायक जैतपुर मनीषा सिंह को मैदान में उतारा है भाजपा के ही एक और खेमें से कटकर जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्रीमती फूलवती सिंह ने भाजपा को पटखनी देने के लिए रणनीतिकारों के सलाह मशवरा के बाद भाजपा से मुंह मोड़कर नामांकन पत्र दाखिल कर भारतीय जनता पार्टी को यह बताने का प्रयास किया है कि जयसिहनगर क्षेत्र में भी आदिवासी नेता है और उनका भी अधिकार चुनाव लड़ने का है मैदान छोड़कर भागने की नहीं देखना यह होगा कि फूलवती सिंह मैदान में डटे रहते है या भारतीय जनता पार्टी को हरने की पुरजोर प्रयास करगी नरेंद्र मरावी को जीतने का संछी बनेगी और भाजपा के ही अंदरूनी कलह से मनीषा सिंह को विधायक बनने से रोका जा सकता है जैैतपुर के नागरिकों के अगर माने तो मनीषा सिंह के कार्यशैली क्षेत्र के जनता के साथ सहानुभूति और सकारात्मक रहा है लेकिन पार्टी के ही कार्यकर्ता जयसिहनगर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के गढ़ से उम्मीदवार को बदनाम करने का कार्य कर रहे हैं जिसको जीतना उदाहरणार्थ बनाने बाले है चुनवी सरगर्मी के बीच नेताओं के द्वारा बागी स्वर अलाप रहे हैं इससे यह महसूस होता है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्यामा प्रसाद मुखर्जी पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जिन्होंने ने भारतीय जनता पार्टी को सबका साथ सबका विकास का एक नारा देकर कह गए थे उसका पालन अपने निजी स्वार्थ के लिए कार्यकर्ता कितना करते हैं यह भी एक समझने का फेर है भाजपा जिला अध्यक्ष के अगर माने तो भारतीय जनता पार्टी के हाथ में तीनों सीट जीत कर वापसी होगा वक्त के साथ बदलते राजनीति की परछाइयां की योर अगर भाजपा जिला अध्यक्ष कमलप्रताप सिंह देखे तो यह साफ नजर आता है कि अपने ही कार्य प्रणाली सेअसफल रहे है इसी कारण से विधानसभा चुनाव में अलग-थलग कार्यकर्ता खड़े दिखाई दे रहे हैं |जहां फूलवती सिंह ने पार्टी को छोड़कर मैदान में ताल ठोक रही है तो वहीं पर रमेश कोल भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरकर भाजपा को चुनौती दे रहे है संगठन के बाद प्रतिद्वंदी कि अगर बात करें तो कांग्रेस के आपसी सामंजस और कार्यकर्ताओं की एकता आज नामांकन पत्र के समय में जन सैलाब देखकर कयास लगाया जा सकता है कि इस बार तीनों विधानसभा क्षेत्र में जनता परिवर्तन का लहर देखना चाहता है भाजपा संगठन नकारात्मक विचारधारा और प्रत्याशी के मनोबल को काम करने में खुद असहजया महसूस कर रहे है जिस कारण से आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मैदानी स्तर पर जनता के बीच प्रयास करते रहेंगे लेकिन जनता हाल बहुमूल्य मत विजय प्राप्त करने को किसे देता है और किस को पराजय का दिन देखने को मिलेगा