शिक्षा के मंदिर में गरिबी अमिरी के तराजू से तौलते हैं| कलयुग के गुरु छात्रों की भविष्य

 शहडोल भास्कर

शिक्षा के मंदिर में गरीबी अमिरी के तराजू से तोलते हैं कलयुग के गुरु छात्रों की भविष्य

 शहडोल = इन दिनो जिले में शिक्षा के नाम पर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है|शासकीय  बिद्यालय के शिक्षाक यह मामला  शहडोल जिले के जनपद पंचायत गोहपारू अंतर्गत शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खंन्नौधी में सहायक अध्यापक प्राचार्य का दायित्व संभाल रहे हैं | विद्यालय का संचालन को लेकर विवादों के घेरे में रहते हैं खन्नौधी प्राचार्य कक्षा 9वी से लेकर 12वीं के छात्र-छात्राओं की सेक्टर विभाजन से जुड़े विवादों के कारण दुरांचल बच्चों के प्रवेश और गणवेश छात्रवृत्ति प्रवेश शुल्क नीतिगत व्यवस्थाओं से ऊपर अभिभावकों से राशि जमा कराया जाता है  इस संबंध में पालको ने अपना परेशानी साझा किये हैं|इस पर जिले में बैठे शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियो के द्वारा सकारात्मक व्यवस्थाओं के अनुसार दंडात्मक कार्यवाही की जाना चाहिए अभिभावको का माग है गरीब छात्र-छात्राएं दूरअंचल स्थिति के कारण शिक्षा से वंचित रह जाते हैं आदिवासी बच्चो की भी जिम्मेदारी शिक्षा विभाग के अधिकारी की हैं समन्वय के बाद भी छात्रों का नहीं हो पता समय पर प्रवेश हायर सेकेंडरी स्कूल खन्नौधी का यह कोई नया मामला नहीं है जब प्रकाश में आया हो पहली बार  वर्ष जुलाई माह से लेकर बच्चों को हर एक अपने अधिकार के लिए संघर्ष की लड़ाई लड़ना पड़ता है |फिर स्कूल के पुस्तक कापी किताब के साथ जूझकर सफलता के महारत हासिल करते हैं| ऐसे हैं हमारे आदिवासी अंचल के युवा भविष्य और सरकार की व्यवस्थाओं पर प्रश्न चिन्ह भी है जिससे छात्र वंचित रह जाते हैं वेहर हल सरकार हजारों जतन कर रहा हो शिक्षा के नाम पर छात्रों को अफसर शाही के करण समय पर जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त नहीं होता है इस पर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारी की भी कमी दिखाई देता है| नामांकन पत्र दाखिल को लेकर छात्रों के अंदर उत्साह पूर्वक पढ़ने का क्षमता रखते हैं लेकिन जब गरीबों के सामने शुल्क के मार झेल रहे बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं यह बात सुनने के लिए अच्छा लगता है लेकिन बच्चे जब स्कूल से वंचित होकर घर बैठते हैं उस समय असहाय माता-पिता को पूरे प्रदेश सरकार की व्यवस्थाएं असहाय दिखाई देने लगता है| और वह सरकार को कोशने में लग जाता है अपने बच्चों को डॉक्टर इंजीनियर शिक्षक बनाने का जो सोच रखते हैं वह एक क्षण में समाप्त हो जाता है और रह जाता है बच्चों के सामने बेरोजगारी और शिक्षा का आलम जिसे पूरे जीवन गलती किसी और का भूकतने के लिए कोई और है


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