शहडोल भास्कर
गरीबों की आशियाना भरी बरसात में ढह गया कोई नहीं संदेश लेने वाला?
सरकार की सुशासन और विकास का पोल अब खुलते नजर आ रहा है?
खबर आंचलिक राजबहोर यादव// मध्य प्रदेश इन दिनों विकास के नए आयाम लिख रहा है? जहां एक तरफ प्रधानमंत्री जन मन योजना के अंतर्गत आदिवासियों एवं अनुसूचित जनजाति मे आने वाले वर्ग को जनमन नाम की योजना से आवास वर्ष 2023 24 में आवंटित किया गया है। वही प्रदेश सरकार के इस अथक प्रयासों के बावजूद भी जिले में अफसरशाही और लापरवाही के कारण आवास अधूरा बना हैं। जनपद पंचायत गोहपारू के अंतिम छोर में बसे ग्रामीण क्षेत्र के ग्राम पंचायत पोडी जहां चारों तरफ से पहाड़ी और दुर्गम मार्ग बना हुआ है आवा गमन के कोई साधन नहीं है। ऐसे ग्राम पंचायत के विकास के लिए जनपद पंचायत के मुखिया श्री वेदमणि मिश्रा मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं जिले के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को भी सरकार की योजना के क्रियान्वयन मैदानी स्तर में किस कदर से हो रहा है। इसका कोई परवाह नहीं। ग्रामीणों के माने तो ग्राम पंचायत पोडी राजस्व ग्राम भितरी कोढार भुडीटोला मिला के लगभग 155 हितग्राहियों को जन मन से प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत किया गया है। जनजाति में सबसे पिछड़े जति भील पलिहा जाति आते हैं। इस ग्राम पंचायत में लगभग 100 घर के इस वर्ग की मतदाता निवास करते हैं। ऐसे में सरकार सभी को चिन्हित कर योजना का लाभ देने के लिए भरसक प्रयास करता है। आपको अवगत कराते है की ग्राम पंचायत पोड़ी में अधूरा आवास एवं ग्राम पंचायत के अन्य निर्माण कार्य नाली निर्माण मजदूरो की मजदूरी भुगतान संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कि योर एक नजर डालें तो ऐसे दुर्गम जंगल क्षेत्र में आवास करने वाले वर्ग जो अपने हथकरघा बास से बने बर्तनो से अपने जीवो उपार्जन चलाते हैं। ऐसे लोगों के निवास और आवास पर सरकार की नजर पड़े तो प्रदेश में हो रहे विकास और सरकार के विश्वास पर कर्मचारी किस कदर से पानी फेर रहे हैं। देखकर साफ हो जाएगा । अधूरा निर्माण कार्य और आवासों की आवंटित राशि सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है। वर्षा ऋतु में तेज बारिश होने के कारण बाबूलाल पिता लमपट भील का घर ढह जाने से परिवार उसके अब बेघर हो गए हैं। उसके पुत्त दौलत को जनमन योजना के अंतर्गत आवास तो प्राप्त है। लेकिन समय पर किस्त ना मिलने से अधूरा आवास पड़ा हुआ है।
घर गिर जाने के पश्चात कहां जाएंगे?
वर्षा काल में कहां रहेंगे आदिवासी परिवार?
नाली निर्माण के अधूरा स्थिति जिसका लागत 18 लाख रुपये से बनाया गया हो उसकी स्थिति देखकर यह पता चलता है। कि सरकार के पैसे को विकास के नाम पर भ्रष्टाचार की बली चढ़ाने में उपयत्री एवं सहायक यंत्री के साठ गांठ से शासकीय कार्य पर लापरवाही किया गया है?
विकास के नाम पर करोड़ों रुपये की राशि ग्राम पंचायत में उनके उत्थान के लिए सरकार जहां जदो जाहद करता है। वही प्रशासन के मैदानी अधिकारियों के द्वारा निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार की कहानी लिख रहे हैं। विकास के नाम का खुल रहा है धीरे-धीरे पोल
कौन है ग्राम पंचायत में पदस्थ सचिव जिसके मार्गदर्शन में ग्राम पंचायत के निर्माण कार्यों में ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा देने में काफी आगे रहता है। आपको बता दें कि शिवशरण जायसवाल ग्राम पंचायत सचिव लगभग दस वर्षों से पदस्थ इनकी पद स्थपना और स्थानांतरण के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय मध्यप्रदेश शासन के सारे नियम कानून बौने पड़ जाते हैं? प्रशासन के लोग ऐसे सचिव के ऊपर कार्यवाही के लिए पंगु साबित होते हैं। स्कूल आंगनबाड़ी के बगल में बने
नाली में किसी भी समय छोटे-छोटे बच्चे और पशुओं का गिरने का भी खतरा बना रहता है। जबकि तकनीकी स्वीकृति में नाली को ऊपर से ढकने का भी जिम्मेदारी होता है।