शहडोल भास्कर
पत्रकार // राजबहोर यादव
चुनावी समर से बाहर है|भाजपा के काद्यावर नेताओं की विचारधारा|कार्यकर्ताओं के दम पर राजनैतिक दल जीतते हैं चुनाव
शहडोल //चुनावी समर में मात दे रहे हैं अपनों को|बगावत के शिकार हो रहे हैं जमीनी स्तर के कार्यकर्ता चुनावी प्रचार के दौरान मान सम्मान छोटे बड़ों को दरकिनार कर जीत के दम भरने वाले नेता अब प्रतिक्रिया से आहत हो रहे हैं|जनप्रतिनिधि रीति नीति और व्यवस्थाओं को दरकिनार कर| सभी राजनैतिक दल के नेता अपने पार्टी के प्रत्याशियों को उतारने के बाद मैदान में अब बाद विवाद और मर्यादा से ऊपर उठकर शिष्टाचार व्यवस्थाओं और सामाजिक रीतियों के विरुद्ध प्रचार चल रहा है |ऐसे मामले शहडोल जिले के विधानसभा क्षेत्र जयसिंहनगर 84 में देखने को मिल रहा है| जहां पर सन 1990 के दशक से लेकर पार्टी की जिम्मेदारी और झंडा बैनर लगाने से लेकर कार्यालय में दरी बिछाने का कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं का अब पूछ परख 21वीं सदी के राजनैतिक दलों के संगठनात्मक कार्य शैली और युवाओं से जुड़े व्यवस्थाओं पर पुराने कार्यकर्ताओं को अब पार्टी में अपने आप को आहत महसूस कर रहे है |यही कारण है कि अपने आप को दरकिनार कर पार्टी के नाम मात्र के रह गए हैं |सन2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के प्रत्याशियों के साथ में |अपने दल के ही कार्यकर्ता अपने प्रत्याशी के प्रति चुनावी रणभूमि में अकेले छोड़कर पार्टी के विचारधारा और वर्तमान कार्यशैली को लेकर आपसी समंजन के लिए चिंतित है |यह स्थिति जब भाजपा की एक वरिष्ठ नेता सानउला खान ने भारतीय जनता पार्टी के नीतिगत व्यवस्थाओं से आहत होकर पार्टी के जिला अध्यक्ष एवं प्रदेश अध्यक्ष के नाम अपना इस्तीफा पार्टी छोड़ने का लिखकर कहा मैं बहुत आहत हूं |और भारतीय जनता पार्टी के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं| सन 1990 के दशक से लेकर अब तक पार्टी से मुझे जो मार्गदर्शन प्राप्त हुआ मैंने अपने जीवन में उतरकर समाज के सामने परोसने का कार्य किया है |और पार्टी के नीतियों के विरुद्ध कभी कोई कार्य नहीं किया है |सत्य है कि भारतीय जनता पार्टी के नीति और वर्तमान व्यवस्थाओं के अनुकूल कार्यकर्ता अपने आप को असहज महसूस कर रहे हैं| इस कारण विधानसभा टिकट वितरण को लेकर जयसिहनगर विधानसभा क्षेत्र के जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले आदिवासी नेता अपने आप को पार्टी से अलग महसूस कर रहे थे |जिसे लेकर मैं पार्टी को अवगत कराने के लिए समाचार संदेशों के माध्यम से ऊपर पहुंचाने का कार्य किया है जिस कारण मुझे पार्टी के कुछ चुनिंदा कार्यकर्ताओं के द्वारा पार्टी के निष्कासन का पत्र जारी कर यह बताने का प्रयास किया है |कि भारतीय जनता पार्टी जमीनी स्तर पर बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ में किस प्रकार से व्यवहार करते हैं |और पार्टी में उनके लिए कितना जगह है |इससे मैं पार्टी के व्यवहारिक व्यवस्थाओं से आहत हूं |और मैं आज असंतुष्ट मन से भारतीय जनता पार्टी से अपना इस्तीफा दे रहा हूं |गौरतलाप है कि जयसिहनगर विधानसभा क्षेत्र में यह दूसरी बार है| कि क्षेत्र के आदिवासी नेताओं के अधिकारों को दरकिनार कर पार्टी दूसरे विधानसभा क्षेत्र के नेताओं को अपना पसंद बताया है| जिसका विरोध करने के लिए क्षेत्र के राजनैतिार्यकर्ताओं के द्वारा किया था| चुनावी परिस्थितियों में अगर एक बार नजर डाला जाए तो दोनों दल के बीच में अपने ही कार्यकर्ताओं के विवादित परिस्थितियों के बीच अटका हुआ है |विधानसभा चुनाव भाजपा के अगर बात करें तो उसके वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की कार्यशैली और सरकार की योजनाओं से प्रभावित होकर आम जनता सीधे भाजपा से जुड़ने का प्रयास कर रहा है |वहीं पर भाजपा के वरिष्ठ नेता चुनावी मैदान से चुप्पी साध कर बैठा हुआ है |प्रत्याशी का बेड़ा पार लगाना किसानों मजदूरो के हाथ मे है ऐसे माहौल में बीजेपी इन दोनों जयसिहनगर विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी पर अपने योजनाओं और विकास के अंदाज पर लड़ रहा है |कार्यकर्ताओं की उठा पटक के बीच इस्तीफा और बगावत का स्वर भरने वाले पार्टी के नेता प्रत्याशी से नाराजगी को लेकर अपने ही क्षेत्र में जनता के बीच जनसंपर्क में से दूर दिखाई दे रहे हैं| भाजपा के प्रत्याशी भले ही जयसिहनगर नगर में भाजपा के चेहरे को लेकर चुनाव जीत ले लेकिन कहीं ना कहीं इस बात को खेद होगा कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व मैदान से बाहर| पार्टी के अंदर विरोध के स्थितियों को जानने के लिए प्रदेश चुनाव समिति संभागीय एवं विधानसभा प्रभारी बनाए हैं लेकिन अपने बुजुर्गों और बड़े नेताओं के मार्गदर्शन विचारधारा से संतुष्ट नहीं है पार्टी के बगावती कार्यकर्ता कोई पार्टी के अंदर रहकर विरोध कर दिखा रहा है तो कोई पार्टी से इस्तीफा देकर तो कोई कार्यकर्ता उम्मीदवार बनाकर मैदान में अगर कोई दिखाई दे रहा है तो वह पार्टी पार्टी के द्वारा बनाई गई उम्मीदवार पार्टी का परंपरा रहा है कि छोटे बड़े चुनाव में अपने कार्यकर्ताओं के मजबूती और मेहनत लगन से चुनाव जीतकर आगे बढ़ते थे लेकिन आज के दौर में प्रत्याशी किस लिए चुनाव से बड़ा पार्टी के चुनौतियों से लड़ना मुसीबत का मार्ग बन जाता है जिसको प्रशांत कर जनता के बीच जाकर पार्टी की योजनाओं और विचारधारा को बताना और मतदान हासिल करना मतदान मतदाताओं की मनजीत ना सबसे बड़ा जीत कहलाता है