अवैध रेत एवं कोयला उत्खनन पर रोक की मांग
उलटे घड़े में पानी डालना जैसा है ?
~~ कैलाश तिवारी
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शहडोल । विगत 45 वर्षों से सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश तिवारी ने समाचार पत्रों में आए दिन रेत एवं कोयला के अवैध खनन पर समाचार प्रकाशित होने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है |कि विगत 45 वर्षों का यह अनुभव बताता है कि रेत एवं कोयला का अवैध उत्खनन कभी नहीं रुक पाएगा । जो मेरे युवावस्था काल में सीमित मात्रा में होता था ।आज संभाग भर में एक विशाल अवैध व्यवसाय का रूप ले चुका है। इस अवैध व्यवसाय का संचालन करने वाले गिरोह के लोग संगठित होकर इसकी रोकथाम करने वाले विभाग के अधिकारियों से मिली भगत कर बहुत व्यवस्थित तरीके से अबाध गति से यह कार्य को अंजाम दे रहे हैं ।जब समाचार पत्रों में बहुत ज्यादा छपता है तो दिखाने के लिए कुछ कार्यवाही दिखा दी जाती है। अन्यथा इनका कुछ नहीं बिगड़ा है। कुछ कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने इस अवैध व्यवसाय को रोकने का प्रयास जरूर किया तथा प्रभावी कार्यवाही भी की लेकिन उनके जाते ही सब सक्रिय हो गए । उस समय पूरा संभाग एक जिला था एक कलेक्टर एक एसपी पूरे संभाग के एरिया को देखते थे। आज अधिकारियों ,कर्मचारी की संख्या चार गुना से ज्यादा हो गई है। संसाधन एवं तकनीकी क्षमता में भी वृद्धि हुई है।
यह अवैध व्यवसाय कोई चोरी छुपे नहीं होता है ।नीचे से लेकर ऊपर तक सब जानकारी रहते है| लेकिन कभी भी संचालकों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की जाती है। बल्कि बेचारे ड्राइवर जो की उनके इशारे पर परिवहन करते हैं। उन पर कार्यवाही हो जाती है ।इस संगठित अपराध से जुड़े लोगों के खिलाफ आज तक जिला बदर अथवा राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम की कार्यवाही नहीं की गई बल्कि छुटपुट कार्यवाही कर प्रकरण को दबा दिया गया ।प्रतिवर्ष अनेक मामलों में अवैध उत्खनन कर्ताओं के हौसले इतने बुलंद रहते हैं कि वह वन विभाग, पुलिस विभाग, राजस्व विभाग की कस्टडी के वाहनों को छुड़ाकर ले जाते हैं।अपराधिक प्रकरण के बजाय जुर्माना राशि लगाकर अपील में जुर्माना राशि भी समाप्त करवा ली जाती है ।ऐसे में यह अवैध व्यवसाय कैसे रुक सकता है।
सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश तिवारी ने शहडोल संभाग के पत्रकारों के साहस को सलाम करते हुए कहा है कि पत्रकारों ने निडर होकर सैकड़ो बार अवैध व्यवसाय पर अंकुश लगाने के लिए अपनी तेज तर्रार कलम से खबर प्रकाशित की गठजोड़ को उजागर किया लेकिन जीत हमेशा गठ जोड़ की हुई। इस कारण इस पर रोक की मांग उलटे घड़े में पानी डालना जैसा ही है। ग्रेनाइट खदान अनूपपुर में भी यह मामला आए दिन उजागर होता रहता है जहां से ग्रेनाइट के व्यवसाययों ने सरकार केेे तरफ से प्राप्त निविदा ठेकेदारी भंडारण के आधार पर कार्य करते हैं उसके बाद भी गैर कानूनी तरीके से संगठित अपराध का अंजाम देते हैं परिवहन विभाग से लेकर पुलिस विभाग के चौतरफा चौकन्ना रहने के बावजूद भी कोयला खदानों से कोयले की चोरी पर अंकुश लगाना मुश्किल दिखाई देता है जबकि केंद्र सरकार द्वारा कोलमाइंस विभाग को चलित खदानों के रखरखाव और सुरक्षा को लेकर एक बड़ी टीम गठित कर विभाग का कार्य करते हैं लेकिन दुर्भाग्य है |कि शहडोल के कोयला से आधे मध्य भारत को धन-धान्य से संपन्न है |और शहडोल निवासियों की गरीबी जैसे के तैसे बना हुआ है |रेेत के अवैध उत्खनन पर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने चुप्पी साध रखा इसका इशारा साफ जाहिर होता है कि चोरों के चौकन्ना गिरोह के आसपास इशारे बता रहा है कि शहडोल संभाग की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को सकारात्मक सुधार के लिए जनता को स्वयं अवैध कारोबार को रोकने के लिए अहम कदम उठाने होंगे|भारतीय जनता पार्टी के सरकार है पूरे प्रदेश में और शहडोल संभाग के तीनों विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के विधायकों का दबदबा है रेेत से लेकर कोयला ग्रेनाइट अवैध शराब कारोबार को बंद करने के लिए विधायकों ने कभी अहम कमद नहीं उठाये है
आज जब चुनाव नजदीक में है तो विकास के कार्य छोड़कर विकास यात्रा से लेकर जन्म दर्शन यात्रा जनआशीर्वाद यात्रा का सरकार के न्युमंदगी करने वाले नेता गली गली जाकर जनता के नवजोत टटोलना में लगी हुई है विकास के बात छोड़ रोजमर्रा क्यों वस्तुएं महंगाई को लेकर आसमान छू रहा हैअंतिम छोर में बैठे व्यक्तियों के दिन कैसे कट रहे है इसका हाल-चाल पूछने वाला कोई नहीं है वह बात नेताओं के जहांन से नहीं उतरती भारतीय जनता पार्टी के ही कार्यकर्ता और वरिष्ठ नेता श्री कैलाश तिवारी ने सरकार को आडे हाथ लेते हुए ध्यान आकर्षण कराया है कि समय रहते अवैध कारोबार और जनता से जुड़े जन मुद्दा पर सकारात्मक रूप से जमीनी स्तर पर सरकार के विभाग अमल करें परिणाम स्वरुप जनता अपने अधिकारों को वंचित होते देखकर सकारात्मक कदम उठाएगा और प्रदेश में फिर एक बार परिवर्तन का बिगुल फूंक देगा यह बात अलग है कि सरकार के झूठी ढिंढोरा पीटने वाले नेताओं ने जन आशीर्वाद यात्रा के माध्यम से जनता के बीच जाकर आशीर्वाद लेने के प्रयास किया है लेकिन जनता का मार्मिक दुख दर्द को समझने के लिए कोई उसके चौखट पर नहीं पहुंचा इसी कारण से समय के साथ बदलते राजनीति में जनता परिवर्तन के आगाज कर रहा है